इस समूह ने तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र, जैसे कि अंडमान अधोपट्टन क्षेत्र, गढ़वाल - कुमाऊं हिमालय, कश्मीर हिमालय, हिन्द-बरमा चाप और काराकोरम भ्रंश के आरपार, फलक सीमा क्षेत्रों और अंतराफलक क्षेत्र में कोयना-वार्ना क्षेत्र में लगभग 75 स्थायी जीपीएस वेधशालाओं की स्थापना की है। इसके अलावा, इस समूह ने भारतीय फलक गति को व्यवरुद्ध करने और फलक के भीतरी क्षेत्रों में विकृति संचय को समझने के लिए पूरे भारत में स्थायी जीपीएस वेधशालाओं की स्थापना की है। इन जगहों में से अधिकांश, ऑनलाइन डाटा प्रसारण के लिए और इंकॉइस (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र) एवं एन सी एस (राष्ट्रीय भूकंपविज्ञान केंद्र) पर डाटा संग्रह करने के लिए वीसैट के माध्यम से जुड़े हैं। अंटार्कटिका को भारतीय वैज्ञानिक अभियान के एक हिस्से के रूप में, फलक गति का अनुमान लगाने और भूकंप की दृष्टि से शांत महाद्वीप, अंटार्कटिका में भूपर्पटीय विरूपण के कारणों को समझने के लिए, इस समूह ने भारतीय बेस स्टेशन, मैत्री में एक स्थायी जीपीएस एवं भूकंपीय वेधशाला स्थापित की है। इस जगह से डाटा एन सी ए ओ आर, गोवा पर संग्रहीत किया जा रहा है। जीपीएस डाटा को संसाधित, विश्लेषित तथा प्रतिरूपित करने के लिए इस समूह का सभी उपकरणों से सुसज्जित एक अच्छा जीपीएस डाटा केंद्र है।
देश में स्थापित विभिन्न जीपीएस नेटवर्कों से प्राप्त जीपीएस आंकड़ों का उपयोग भारतीय फलक गति और भारत के फलक सीमा एवं अंतराफलक क्षेत्रों में विकृति संचय को समझने के लिए किया गया है। 2004 के सुमात्रा-अंडमान भूकंप के लिए अंडमान क्षेत्र में विकृति संचय का प्रमाण, इस क्षेत्र में बड़े भूकंपों के स्रोत पैरामीटरों का आकलन, उनके भूकंपोत्तर विरूपण ने उत्तरघात घटित होने की क्रियाविधि, अवसाद की भूमिका और 900ई कटक अधोपट्टन पर जानकारी दी। हिंद-बरमा फान, जो कि भारत और सुण्डा फलक के बीच गति के हिस्से को समायोजित करता है, में एक फलक सीमा की खोज, इसकी कम भूकंपी जोखिम, और इस क्षेत्र में भूकंप आने की प्रक्रियाएं वैश्विक महत्व की थीं। अंटार्कटिका में भारतीय बेस स्टेशन, मैत्री के निर्देशांक और वेग (4.6 मिमी/वर्ष मुख्य रूप से उत्तर की दिशा में) निरंतर निगरानी में हैं। 11 अप्रैल 2012 (8.6 तीव्रता) का बड़ा अंतराफलक हिंद महासागर भूकंप और उसका बहुत बड़ा उत्तरघात (8.2 तीव्रता), और 25 अप्रैल, 2015 गोरखा, नेपाल भूकंप के प्रति आयनमंडल अनुक्रिया का विश्लेषण जीपीएस संपूर्ण इलेक्ट्रॉन अंश (टीईसी) मापनों का उपयोग करके किया गया है।
नाम | पदनाम |
डॉ. गह्लौत वी.के. (लियन पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में कार्य कर रहे हैं) | प्रधान वैज्ञानिक |
डॉ. जोशी कैथरीन के. | वरि. वैज्ञानिक |
श्री अखिलन ए | वरि. वैज्ञानिक |
डॉ. सरोज कुमार मंडल | वैज्ञानिक |
श्री अमित कुमार बंसल | वरि. तकनीकी अधिकारी (2) |
श्री सिम्हाद्रि नायुडु | तकनीकी अधिकारी |
श्री राजेश्वर राव | तकनीशियन (1) |
श्री कृष्णा वी. | सुरक्षा गार्ड |
पृष्ठ अंतिम अपडेट : 21-08-2020